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Exclusive Interview Of Pramod Shastri Welknown Writer Director Of Bhojpuri Film Industry...

साक्षात्कार

भोजपुरी फिल्मों के सफल लेखक व निर्देशक “प्रमोद शास्त्री” के साथ

रब्बा इश्क ना होवे, छलिया, प्यार तो होना ही था, जैसी बड़ी और हिट फिल्में देने वाले लेखक – निर्देशक प्रमोद शास्त्री लेकर आ रहे हैं बिग बजट  मल्टी स्टारर धमाकेदार  फिल्म “आन बान शान” प्रस्तुत है लेखक – निर्देशक प्रमोद शास्त्री से बातचीत के कुछ अंश.

प्र०1 प्रमोद जी आप हमें अपनी पूरी पारिवारिक पृष्टभूमि से अवगत कराएं..?

उत्तर – मेरा पूरा नाम प्रमोद कुमार पांडेय हैं, मैं मूलतः उत्तर प्रदेश राज्य के प्रतापगढ़ जिले का मूल निवासी हूँ, मेरी पढाई प्रतापगढ़ एवं लखनऊ में हुई हैं,  मैंने स्नातकोतर तक की पढाई की हैं, लेकिन शास्त्री की डिग्री लेने के बाद मैं प्रमोद शास्त्री के रूप में जाना जाने लगा, हम दो भाई है और हमरी पांच बहने है. जिसमे मेरा स्थान छठां हैं हमारे पिताजी एक साधारण किसान हैं और मां एक सीधी-सादी घरेलू महिला है.

प्र०2 प्रमोद जी जहाँ आज का युवा फिल्मों में नायक बनना चाहता हैं, वही आपने निर्देशक बनना चाहा इसकी प्रेरणा आपको किनसे मिली..?

उत्तर – मैं अपनी पढाई के दौरान ही लेखन करने लगा था, चूकिं कि मेरे परिवार में मेरे दादा जी वैद्य पंडित श्री नारायण शास्त्री बहुत ही विद्वान व्यकित थे, उनकी लेखन में गहरी पकड़ थी और उनका व्यापक प्रभाव मेरे ऊपर पड़ा, मेरी पढाई के दौरान ही मेरे द्वारा लिखे गए कुछ नाट्य काफी पापुलर हुए जिनमे से प्रमुख नाट्य हैं– सम्राट अशोक का शस्त्र परित्याग, राखी की मर्यादा, इस प्रकार मुझे प्रारंभिक जीवन ही यश प्राप्त करने की अभिलाषा बढ़ चली, लेकिन निर्देशक बनने के तरफ मेरा ध्यान कुछ प्रमुख हिंदी फिल्मों के निर्देशकों के इंटरव्यू सुनने के बाद आया, जिनमे से प्रमुख नाम शुभाष घई, प्रकाश मेहरा और राकेश कुमार जी का हैं, मसलन मैं इन सभी निर्देशकों से बहुत प्रभावित हुआ और एक सफल निर्देशक बनने की ओर अपना कदम बढाया और आज मैं जो कुछ भी हूँ आप सभी के सामने हूँ |

प्र०3 प्रमोद जी आप प्रथम बार मुंबई अपने सपने को साकार करने के लिए कब  आए.? और आपको प्रथम बार काम करने का अवसर किसके माध्यम से मिला.?

उत्तर – जी मैं मुंबई प्रथम बार सन् 2001 में आया, मुझे हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की मशहूर अदाकारा प्रियंका चोपड़ा जी के मेकअप मैंन शुभाष जी का काफी सहयोग मिला, शुभाष जी ने हमें प्रथम बार सहायक निर्देशक के रूप में काम दिलवाया, इसके बाद मैंने अलग-अलग छः भाषाओ में लगभग सोलह फिल्मे सहायक लेखक व सहनिर्देशक के रूप में की, जिसमे तारीख द फाइनल डे, इक जिंद एक जान एवं भूमिपुत्र प्रमुख है |

प्र०4 प्रमोद जी निर्देशक के रूप में आपकी प्रथम भोजपुरी फिल्म कौन हैं.? साथ ही यह कब रिलीज़ हुई.? इस फिल्म के निर्माता, नायक और नायिका कौन हैं..?

उत्तर – मैंने सर्वप्रथम सन् 2017 में रब्बा इश्क न होबे नामक भोजपुरी फिल्म को निर्देशित किया, इस फिल्म की निर्मात्री कनक यादव हैं प्रस्तुतकर्ता गौतम सिंह और नायक अरविन्द अकेला “कल्लू” तथा नायिका कनक यादव और रितू सिंह हैं, इस फिल्म में भोजपुरी फिल्मों के महान कलाकार अवधेश मिश्रा और मनोज टाइगर ने काफी महत्वपूर्ण रोल निभाया हैं |

प्र०5 प्रमोद जी अभी तक आपने कितनी भोजपुरी फिल्मों को निर्देशित किया हैं, कुछ फिल्मों का नाम बताएं..?

उत्तर – अभी तक मेरे द्वारा निर्देशित तीन भोजपुरी फिल्में रिलीज हो चुकी है  1.रब्बा इश्क न होबे (सन2017) 2.छलिया (सन2019) 3.प्यार तो होना ही था (2020) जो लोगो के बीच काफी लोकप्रिय रही हैं  |

प्र०6 प्रमोद जी अब आगे रिलीज़ होने वाली कुछ फिल्मों का भी नाम बताएं जो रुपहले पर्दे की शोभा बढ़ाने वाली है |

उत्तर – फ़िलहाल मेरे द्वारा निर्देशित भोजपुरी फिल्म “आन बान शान” रिलीज होने वाली है जो लगभग बनकर तैयार है, उसके बाद “साम दाम दंड भेद” आएगी जिसकी शूटिंग की तैयारियां चल रही है गौरतलब है कि अब तक मेरे द्वारा बनाई गई लगभग सभी फिल्मों के लेखक मेरे साथ साथ श्री यस. के. चौहान जी हैं, इन दोनों फिल्मों से हमें काफी उम्मीदें हैं, इसके आलावा निर्माता गौतम सिंह की एक बड़े बजट की हिंदी फिल्म आएगी जिसका लेखन कार्य अभी चल रहा है |

प्र०7 प्रमोद जी आपके पसंदीदा नायक कौन हैं जिसके साथ आप बार–बार काम करना चाहेंगे |

उत्तर – मेरी हर फिल्म में मेरे पसंदीदा नायक और नायिका बदलते रहते जो कलाकार अपने करैक्टर में पूरी तरह से फिट हो जाता है और अपना रोल बख़ूबी निभाता है वही मेरा पसंदीदा कलाकार बन जाता है अतः ए कहना कि कोई मेरा आलटाइम फेवरेट कलाकार है अतिश्योक्ति होगी..

प्र०8 प्रमोद जी मैंने सुना है कि आपने टेलीविज़न सीरियल का भी निर्माण किया हैं, इस पर आप कुछ प्रकाश डाले |

उत्तर – जी आपने ठीक सुना हैं मैंने 2019-20 में डीडी. किसान चैनल के लिए “किसके रोके रुका हैं सवेरा” नामक सीरियल का निर्माण किया, इस सीरियल का मूल उद्देश्य देश के किसानों के मौलिक अधिकारों तथा उनकी समस्याओं के निदान और भारत सरकार द्वारा उनके लिए चलाई गई नई स्कीमों के बारे में जानकारी देना था, जो बहुत ही पापुलर हुआ मै इस सीरियल का लेखक और निर्देशक भी हूँ |

प्र०9 प्रमोद जी आप अपनी फिल्मों के निर्माण के समय नए कलाकारों को मौका देतें हैं या नहीं, इस बारे में आप क्या कहना चाहेंगे |

उत्तर – मैं अपनी हर फिल्म में किसी ना किसी रूप में हर बार तीन से चार नए प्रतिभावान कलाकारों तथा टेक्निशियनों मौका देता हूँ उदाहरण के तौर पर आप मेरे द्वारा बनाई गई कोई भी फिल्म अथवा सीरियल देख सकते हैं, जिसमें आपको कई अच्छे और बड़े रोल में नये कलाकार या टेक्निशियन का नाम अवश्य दिखेगा, इतना ही नही, उन्हें भविष्य का स्टार बनाने की पूरी कोशिश भी करता हूँ जिससे कि उसकी राह आसान हो सकें |

प्र०10 प्रमोद जी भोजपुरी फिल्मों का भविष्य आप कैसा देख रहे हैं

उत्तर – सच कहूं तो बहुत ही चिंताजनक है, असल में भोजपुरी में “एल्बम” की अपनी एक अलग ही दुनिया है, जिसमें अश्लील भड़कीले और गंदे गानों की भरमार है, जिसका कमोवेश असर भोजपुरी फिल्मों पर भी पड़ता है, क्योंकि अधिकतर वही वल्गर, भड़काऊ, तथ्यहीन गीत गाने वाले गायक आगे चलकर भोजपुरी फिल्मों में हीरो बन जाते हैं, तत्पश्चात कमोबेश हर निर्माता उसकी पापुलरटी का फायदा उठाने के लालच में बेचारे निर्देशक से उसी गायक को लेकर फिल्म बनाने के लिए कहता है इतना ही नही, वही निर्माता हर वक्त प्रेशर भी बना कर रखता है कि, हीरो सफल है, लोकप्रिय है, इसलिए जिस तरह की चीजें वह सोच रहा है वही सही है, चाहे अनचाहे लगभग हर लेखक और निर्देशक को अपने सपनों के साथ-साथ एक बेहतर सिनेमा के साथ भी समझौता करना पड़ता है, स्थिति दिन-ब-दिन ऐसी हो गई है की भोजपुरी का सच्चा और अच्छा दर्शक भोजपुरी सिनेमा से दूर हो गया है, बस कुछ वर्ग के दर्शकों के हाथों में भोजपुरी सिनेमा का भविष्य झूल रहा है, जिन्हें हम फर्स्टवेंचर कहते हैं. जबकि यही भोजपुरी इंडस्ट्री अच्छे लेखक अच्छे निर्देशक और अच्छे चरित्र अभिनेताओं से भरी पड़ी है, अगर कमी है तो समर्पित निर्माता की, अच्छे डिस्ट्रीब्यूटर की, और बढिया सिनेमा हाल की, जो चंद रुपयों की लालच के चलते अच्छे कथानक के साथ मराठी, तमिल, तेलुगू, मलयालम सिनेमा के जैसे बड़े कैनवास की भोजपुरी फिल्म बनावाने, बेचने, और डिस्ट्रीब्यूशन के अभाव में जी रहे हैं, जबकि भोजपुरी भाषी दर्शको की संख्या लगभग चालिस करोड़ से अधिक है..|

India Gives Me Her Stories And Canada Gives Me The Freedom To Express Them Says Filmmaker Deepa Mehta...

भारत ने मुझे नई कहानियां दी और कनाडा ने मुझे व्यक्त करने की आजादी: फिल्म निर्माता दीपा मेहता

9 फरवरी 2021, कोलकाता :  कोलकाता की सुप्रसिद्ध सामाजिक संस्था ‘प्रभा खेतान फाउंडेशन’ द्वारा आयोजित और श्री सीमेंट द्वारा प्रस्तुत ‘एक मुलाकात विशेष’ के ऑनलाइन सत्र को वर्चुअली संबोधित करते हुए फिल्म निर्माता दीपा मेहता ने कहा, मेरे जीवन में भारतीय सिनेमा के प्रति मेरा लगाव हमेशा से काफी ज्यादा रहा है। जब मैं एक एनआरआई नागरिक बन गयी, तब मै भारतीय सिनेमा में काफी ग्राउंडेड भी हो गयी थी। क्योंकि मुझे लगता है कि भारत मुझे अगर नई कहानियां देता है, तो कनाडा मुझे उन्हें व्यक्त करने की आजादी प्रदान करता है।

दिल्ली की अहसास वुमन की सदस्य अर्चना डालमिया के एक सवाल के जवाब में कि, ‘एक एनआरआई के रूप में आप भारतीयता पर अपने फिल्म निर्माण को कैसे ढाल रही हैं?’ का वह जवाब दे देते हुए दीपा मेहता ने कहा, मैं एक अनिच्छुक कनाडाई नागरिक बन चुकी थी, तब लंबे समय तक मुझे भारत से बाहर रहना पड़ा था। इस दौरान भारत को मैने काफी मिस किया। घर को वास्तव में सुरक्षा के लिए परिभाषित किया जाता है और अगर मैं भारत में खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करती तो यह मेरा घर नहीं कहला सकता है। मैं एक अलग तरह की एनआरआई हूं।

‘एक मुलाकात विशेष’ कार्यक्रम के इस ऑनलाइन सत्र की शुरूआत अहमदाबाद अहसास की महिला शाखा की तरफ से प्रियांशी पटेल ने किया।

दीपा मेहता, जो अपनी फिल्म ‘फायर’ के लिए काफी विवादों के घेरे में आयी थी, इसके लिए उन्हें काफी नाराजगी का सामना करना पड़ा था। इसके बाद भारत में उन्हें अपनी अगली आनेवाली फिल्म ‘वाटर’ के प्रोडक्शन को बंद करना पड़ा था।

दीपा मेहता का काम निडर और उत्तेजक भरा है, जो रूढ़िवादी विचारधारा को हमेशा चुनौती देता है। उन्होंने हाल ही में नेटफ्लिक्स ओरिजिनल सीरीज़ और लीला के लिए पायलट का दूसरा एपिसोड शूट किया। वह इस शो की रचनात्मक कार्यकारी निर्माता भी हैं। उन्होंने एप्पल टीवी के लिए लिटिल अमेरिका के पायलट एपिसोड-‘द मैनेजर’ का भी निर्देशन किया। दीपा की फिल्म ‘मिडनाइट्स चिल्ड्रन’ को श्रीलंका में शूट किया गया था। उनकी नवीनतम फीचर फिल्म ‘फन्नी बॉय’, श्याम सेल्वादुरई द्वारा लिखित पुरस्कार विजेता उपन्यास पर आधारित है, जिसे द्वीप राष्ट्र में भी शूट किया जा रहा है।

दीपा ने कहा, अब श्रीलंका के लिए मेरा प्यार बढ़ने लगा, क्योंकि भारत में उसे पसंद नहीं किया जा रहा था जो मैं करना चाहती थी।

जीवन में सिनेमा के प्रति उनके लगाव की शुरुआत कैसे हुई? इस सवाल के जवाब में दीपा ने कहा, सिनेमा के लिए मेरा जुनून तब शुरू हुआ जब मैं छह साल की थी। मेरे पिता के पास पंजाब और अमृतसर में एक सिनेमा हॉल और फिल्म प्रोडक्शन कंपनी थी। स्कूल के बाद हमें पिताजी के पास जाना पड़ता था। वहां जाने के बाद उनका इंतजार करने के लिए उन्हें कई बार मूवी थियेटर में घंटों इंतजार करना पड़ता था। इस दौरान मैंने फिल्म ममता को लगभग अस्सी बार छोटे-छोटे हिस्सों में देखा, जिसके बाद मुझे उससे प्यार हो गया। मैंने फिर अपने पिता से पूछा- यह कैसे होता है? इसपर वह मुझे निर्माण कक्ष में ले गये और मुझे दिखाया कि फिल्म कैसे बनती है, फिर हम गलियारे से नीचे उतरे। मेरे पिता ने मुझे वह स्क्रीन महसूस कराया जो कपड़े का एक टुकड़ा था, उस समय मुझे महसूस हुआ कि पूरी बात जादुई है। ऐसा कुछ जिसे मैं महसूस कर सकती थी, इसके वर्णों को स्पर्श कर सकती थी। मुझमें ऐसी भावनाएँ पैदा होने लगी जो मुझे रोमांचित भी करने लगी थी। मुझे तब लगने लगा कि राज कपूर अद्भुत व्यक्तित्व थे। मैंने उनकी फिल्म ‘श्री 420’ को 20 बार देखा। एक और बहुत ही अलग फिल्म ‘जागते रहो’ जो मुझे एक बहुत ही अच्छी और प्रेरणादायक फिल्म लगी थी। कुछ बांग्ला फिल्म निर्माताओं की फिल्मों ने भी हमे काफी प्रभावित किया। मै सत्यजीत रे और ऋत्विक घटक द्वारा निर्मित फिल्मों को काफी पसंद करने लगी थी। रे मेरे हीरो बन गए थे, आज तक मुझे लगता है कि चारूलता एक ऐसी फिल्म है जिसने मुझे हमेशा प्रेरित किया है। जब मैं महिलाओं पर फिल्म बनाती हूं, तो मुझे इससे काफी प्रेरणा मिलती है। वर्तमान में, नए फिल्म निर्माता और निर्देशक के तौर पर अनुभव सिन्हा, अनुराग कश्यप, विक्रम मोटवानी और ऑस्कर नामांकित फिल्म निर्माता दीपा मेहता मेरे लिए प्रशंसनीय हैं। जो 50 के दशक के सत्यजीत रे, विटोरियो डी सिका, यासुजिरो ओजू के मानवीय सिनेमा से प्रेरणा लेते हैं। उन्हें लगता है कि इन निर्माताओं की मानवता, करुणा और जुनून से भरी फिल्में इस विभाजनकारी दुनिया में हमारे रक्षक हैं।

हमारे निजी जीवन के लिए घातक बन रहे सोशल मीडिया पर दीपा ने कहा, यह काफी शक्तिशाली और विनाशकारी उपकरण है। मुझे लगता है कि जिस प्रकार कारवां आगे बढ़ता रहता है, और कुत्ते भौंकते रहते हैं। ठीक इसी प्रकार यह अति खतरनाक है।

  

आपको क्या लगता है कि 2030 में फिल्म इंडस्ट्री कहां तक और किस उंचाई तक पहुंचेगी? क्या हम कभी सिनेमाघरों में वापस जाएंगे?

जवाब में दीपा ने कहा, स्ट्रीमिंग ने फिल्मों को देखने के तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है। मुझे आशा है कि यह जल्द नया रूप लेगा, क्योंकि मेरे लिए सिनेमा देखने के लिए एक पवित्र जगह में जाने जैसा है, जहां आप किसी चीज से परेशान नहीं होते हैं। इन्हीं विशेषताओं के कारण इतने लंबे समय तक सिनेमा जगत जीवित है। इसी तरह से नाट्य शास्त्र भी है, जो वर्षों से जीवंत है। 2030 के दशक में भी सिनेमा और नाटक मौजूद रहेंगे, क्योंकि सिनेमा एवं नाटकों के बिना जीवन वास्तव में उबाऊ है। दीपा कहती है, वह महसूस करती हैं कि उनकी हर फिल्म उनके लिए उनकी किस्मत है।